सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

 

जीवन के 57 बसंत सुख-दुःख के संग पुलिस विभाग में रहते व्यतित कर लिए हैं मैंने। इस नौकरी के दौरान वर्ष 1991, 1998 के भयावह भूकम्प एवं 2013 की त्रासदी लोगों के संग कुशलता पूर्वक झेली हंै। जैसे दैनिक जीवन में रात-दिन का चक्र चलता है, ऐसे ही जीवन में सुख-दुःख भी आते और चले जाते हंै। किंतु! कोविड़-19 कोरोना, नामक महामारी ने वैश्विक स्तर पर अपने पाँव पसार दिये हैं। बुहान चीन में उपजी यह बीमारी आज तक अंगिनित जाने लील चुकी हैं। आज तक चीन सहित कोई देश इसकी औषधी नहीं बना पाया। यह महामारी भयावहा इस लिए भी है कि इस बीमारी से संक्रमित मरीज की मदद के लिए कोई भी सामने नहीं आता। अपना प्यारा सा बच्चा भी किसी का हो तब भी, वह उसकी मदद के लिए आगे नहीं आता। भयानक अन्य बीमारी में सभी अपने मरीज की जी जान से सहानुभुति पूर्वक मदद करते हैं। चूँकि किसी भी बीमारी में मरीज के साथ सहानुभूति परम आवश्यक है।

विपति की इस घड़ी में आम जनता की पुलिस से अधिक अपेक्षाएं होती है। यूँ तो जनता और पुलिस के मध्य आये दिन द्धंद्धात्मक परिदृष्य की बात आम है। किंतु! आश्चर्य की बात है कि इस समय आम जनता पुलिस की प्रशंसा करती थकती नजर नहीं आ रही है। यह पुलिस के लिए किसी सुखद अनुभव से कम नहीं है। जनता का कोप भाजन तो पुलिस के लिए आम बात है। अनर्गल आरोप-प्रत्यारोपों व गालियों से हम अभिसिंचित एवं तृप्त होते रहते हैं। गालियों को हम प्रसाद समझ कर प्रेमपूर्वक ग्रहण भी कर लेते हंै। चूँकि हमारी नियती भी बन चुकी है। यह बात नहीं है कि पुलिस हर जगह सही होती है, गलत भी हो सकती है। कई मायनों में जनता भी कहीं गलत होती है।  

आज इस महामारी में कई नई बातें सीखने को भी मिली हैं। अच्छे व बुरे लोगों से साक्षात्कार भी हुआ है। ऐसी महामारी की घड़ी में अपनी दैनिक ड्यूटी के अतिरिक्त हम अपनी नैतिक जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं। इस प्रकार की नैतिकता का निभाना हमारा परम सौभाग्य भी है। यही सच्ची देश सेवा भी है। अपने यशस्यी माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के पूनित आह्वान पर लाॅकडाउन के मौंके पर कुछ लोगों को छोड़कर अधिकतर लोगों ने अनुपालन किया है। इससे कोरोना रूपी महामारी पर काफी हद तक रोक भी लगी है। हालांकि इस मौके पर कई दिनों तक कमरों में बंद होना आसान नही है। इससे लोगों में चिड़चिड़ापन देखने को मिल रहा है। लाॅकडाउन की अवधि में परिवार के साथ हम इंडोर गेम, चित्रकारी, लेखन, विभिन्न प्रकार के व्यंजन, बागवानी सहजकर अपनी परिवार में पत्नी, बच्चों एवं वृद्ध माता-पिता के साथ समय साझा कर सकते हैैं। अपना व पारिवारिक वातावरण को शुद्ध करने का प्रयास करें। घर की साफ-सफाई का विशेष घ्यान रखकर भजन-कीर्तन, गायत्री एवं महामृत्यंुजय मत्रों का जप करें। इससे अपनी गृह वाटिका का वातावरण शुद्ध होगा। यदि हम आर्थिक रूप से सुदृढ़ हैं तो हमें यथासमय शासन, प्रशासन अथवा अपने आप असहाय लोगों की येन केन प्रकारेण सहायता करनी चाहिए। हालांकि प्रायः देखने में आ रहा है कि जरूरतमंदो को समुचित रूप से सहायता नहीं पहुंच पा रही है। यह भी देखने योग्य बातें हैं। सहायता देते समय हमें निस्वार्थभाव व धर्मनिरपेक्षता से यह स्तुत्य कार्य करना है।

मैं पुलिस की व्यस्तम नौकरी के साथ-साथ साहित्य जगत से भी जुड़ा हूँ। मेरी अभी तक शैशव हिन्दी कविता संग्रह, ताता दूधै घूट गढ़वाली कविता संग्रह, बस ! इथगि चैन्दू गढ़वाली कथा संग्रह एवं पिन्ट बोला मम्मी से.........बाल कतिता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। सतत रूप से रचना धर्मिता में संलग्न हूँ। साहित्य सृजनशीलता के लिए अभी तक मुझे स्थानीय, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा कई सम्मान व पुरस्कारों से अंलकृत भी किया जा चुका हँॅंू। आज कल कोरोना से बचने से संदर्भित कई पोस्ट जारी कर चुका हँू। हम सोशल मीडिया पर भ्रमात्मक पोस्ट करने से बचें।  

इस विपति की घड़ी में हम सभी को एकता के सू़त्र में पिरो कर एक सुन्दर माला बनकर विभिन्न प्रकार की सुगंध से अभिसुगंन्धित करना है। कोविड़-19 नामक इस महामारी का लाॅकडाउन रहकर स्वयं व औरों को सुरक्षित करना है। कोरोना से लड़ने वाले स्वास्थ्य, पुलिस, पेयजल, विधुत, मीडिया कर्मियों  एवं सफाई कर्मियों के स्तुत्य कार्य में यथोचित सहयोग प्रदान कर उनके कार्यो को अपने-अपने स्तर से सुलभ बनाने की चेष्टा करें। यही यथार्थ रूप में सच्ची राष्ट्रसेवा होगी। अन्ततः सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ........ की भावना को रोपित करते हुए ऊँ नमो भगवते महासुदर्शन वासुदेवाय धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय सकल भयविनाशाय सर्वरोग निवारणाय त्रिलोकपतये त्रिलोकनिधये ऊँ श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धन्वन्तरि स्वरूप ऊँ श्री श्री औषधचक्रनारायणाय नमः का शुद्ध मन से नित्य-प्रति उच्चारण करें। भगवान महाकाल की अनुकम्पा से समूल विश्व इस महामारी से मुक्त हो पायेगा, ऐसा मुझे विश्वास है।         

 

                                                       

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