- ---@कविता कैंतुरा की रचना- कोरोना महामारी पर-----
जांणी कुजाणी, क्या ह्वे होलु,
सैरि दुन्यां, सोच मा पड़ीं च!
यु मनख्यूं तै, प्रकृति कु श्राप च,!
या !
यु कै मनख्यूं की ही चाल च?
आज सैरि पिरथी कन
घात लगौणी कोरोना!
अन्नपाणी खांणौं ढूंढणू मनखि,
काम नी औंणू धन दौलत ना सोना!
ना करा, ना करा,
अन्यौं अत्याचार
अति बि!
जीवों पर दया, ना धरम,
मर्येंगि मनख्यूं मति भी।
तौं,माँ-बाबा की जिकुडि,
झरऽ झुरिगी,
जौंकु नौन्याळ कखि,
अद्बबट्टे मा फसिग्ये।
चीनी लोखुंन, कन दुविधा डाळी,
मनखि ज्वोन पर कनु संकट आईं,
समै भी कन ऐगी भैर,
मनखि ग्वड्यू भितर,
जानवर घूमणा सैर।
ना करि, ना करि अब,
ब्यर्थ घमंडे बात,
प्रकृति का अगनै,
क्या तेरि औकात?
देखी परेखी,
हिटी अगनै
अर अफु भी खै,
होरु भी खांण द्ये।
------------------@कविता कैंतुरा, लुटियाग (खल्वा) चिरबटिया, रूद्रप्रयाग ।
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---वैश्विक महामारी कोरोना पर अंकुश राणा, सातवीं कक्षा पालाकुराली की सृजनशीलता देखा-----
कोरोना ऐगि,
कोरोना ऐगि,
देश दुनिया मा,
कन आफत ल्येगि,
मोदी जी
ब्वन्न लग्या
हम सबुतै
समौझौंण लग्या
लोगडौन
ह्वोणू च
मुख पर मास्क
लगै रखा
चीन बै आंई
महामारी पर
अगल-बगल समझा।
लोगडौन ह्वयूं
बजार ना आ, जा,
साफ रा,
साफ खा,
जब बटि
यु कोरोना आई
लोग हैलो बिसरी
नमस्कार कन लगिन।
-----------------@अंकुश राणा, कक्षा-7 राउमावि पालाकुराली जखोली रूद्रप्रयाग
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कोरोना महामारी अर बच्चों सृजनात्मकता-@प्रीति राणा कक्षा दसवीं की छात्रा पालाकुराली की एक सौदी रचना-
हे चाइना वोळौ!
किलै छुपै कोरोना कु राज ?
कोरोना बीमारी न रुकेलि
सैराऽ विश्व कु विकास।
इटली जन देस तैं
त्वीन हराई,
पूरा विश्व मा कन,
महामारी फैलाई!
कति लोखूं तै त्वीन,
मौत का घाट उतारी।
अपुड़ौ से त्वीन,
दूर भगाई।
इक्कीस दिन कु 'लाॅक डाउन'
मोदी जी न कर्यांई,
अब देखदा कोरोना
कतिग्या कम हवे ग्याई।
बोर्ड की परिक्षा तक,
त्वीन रुकाई
टाॅपरै की लिस्ट मा त्वीन,
अपड़ु नौ चढ़ाई।
मोदी जी का आदेश कु तुम
पालन कर्या,
काम कना बाद तुम,
हाथ जरूर ध्वाय्यां।
हे कोरोना त्वीन के पर,
दया नि दिखाई,
ज्वान,बुड्या,बच्चा तु,
अफु दगड़ि लि ग्याई।
घर रखा तुम साफ,
डिटोल न पौंच्चा मारा,
बीस इक्कीस दिन तक,
भैर,कतै सुदि ना आवा!
कोरोना की दवे, अजु
कैन नी बणांई,
हे भद्वाणों वीर नरसिंह
अब बाटु त्वी दिखाई।
हे कोरोना त्वीन
कतिग्ता ब्यो रुकैन,
कतिग्ता लोग,
सडक मा स्यवैन।
हे कोरोना त्वीन त,
पूरा विश्व कु करि खारु!
देस की पूरी अर्थव्यवस्था,
मिनटों मा करि माटू।
----- @ प्रीति राणा कक्षा 10, राउमावि पालाकुराली जखोली रूद्रप्रयाग
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आवा आज मिली-जुली,
ये महामारी का
अन्ध्यरा तै दूर कोला,
आज दुख-विपदा
मा च, देस,
सबि सजग-सतर्क रेतै,
भौळ सुख पौला।
कैकी टूटदि कांध्यूं तै,
कैकि भूखै आग तै,
कैकी निरासीं आस तै,
सारू भरोसू दयोला,
आवा आज मिली-जुलि,
ये अन्ध्येरा छंट्योला।
------@कविता कैंतुरा लुटियाग खल्वा चिरबटिया रूद्रप्रयाग ।।।।
प्रस्तुति ---अश्विनी गौड़ राउमावि पालाकुराली जखोली रूद्रप्रयाग