गढ़वाली लोरी -

(यह पहाड़ का एक पारम्परिक लोरी गीत है। ..इसमें मैंने अपने शब्द भरकर अपनी बेटी के लिए रचे, गाये )


ऐजा निन्दा बाळी---
ऐजा निन्दा बाळी ....
आंखि चूर, तु छैं दूर
पैट सनक्वाळी....ऐजा निन्दा बाळी.
घ्यू-बूरा कु देलु चूरा
निंदौ डोला लेकि जूंरा
बाळी तैं बुथ्याळी...ऐजा निन्दा बाळी...
धार मा सिरौणि धारि
घाम पळतीर भागि
गैणौ  कि घिमसाण देखा
सज धजि कि ज्यून ऐगि
रूमुक झमुक-ठुमुक ऐगि
दिवा बात्ति बाळी....ऐजा निन्दा बाळी...
जंदरा सेनि, मंदरा सेनि
धारा, नौ-पंदेरा सेनि
तू बि सेजा मेरि लाटि
पुछड़ा-पंख सुनिंद ह्वेनि
डांडा थौकि सेयां पांडा
वूं तैं ना बच्याळी...ऐजा निन्दा बाळी...
स्वीला से गेनि, ग्वीला ह्वे गेनि
लगुला , अंगुला  बोटि पोड़ि गेनि
रात काळी खंतड़ि लेकि
ओणि-कोण्यौ लुक्ण बैठि
भ्वींटा-ख्वींटा, गौं-गुठ्यार
सेगि धार, आर-पार 
उग्ण बैठिगे मेरि लाटि 
निंद  आळी-जाळी...ऐजा निन्दा बाळी...


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