उत्तराखंड  में    भंगजीरा , भंगीरा   मसाला , औषधि उपयोग  इतिहास 
 



वनस्पति शास्त्रीय नाम -Perilla frutescens

सामन्य अंग्रेजी नाम -Perilla



उत्तराखंडी नाम -भंगजीरा , भंगीरा Bhangjira , Bhangira

नेपाली नाम - सिलाम

भंगजीरा /भंगीरा उत्तराखंड की पहाड़ियों में 500 -1800 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों पर खर पतवार के रूप में भी उगता  कृषि मसालों के रूप में भी उगाया जाता है।  60 -90 सेंटीमीटर ऊँचे पौधे का तना बालयुक्त वर्गाकार होता है और बहुत बार  इस पौधे को तिल  भी समझ बैठते हैं।

जन्मस्थल संबंधी सूचना -चीन या भारतीय हिमालय


   भंगीरा /भंगजीरा का मसाला उपयोग

 

 भंगजीरे / भंगीरे की पत्तियों को मसालों के साथ पीसकर भोजन को विशेष स्वाद दिया जाता है। 

  भंगजीरे /भंगीरे की पत्तियों को नमक व मिर्च के साथ पीसकर चटनी बनाई जाती है।

   भंगीरे /भंगजीरे  के बीजों को मसाले के रूप में अन्य मसालों के साथ मिलाया जाता है।

भंगजीरे।/भंगीरे के बीजों को नमक के साथ पीसकर चटनी बनाई जाती है। 

 भंगीरे /भंगजीरे के बीजों को पकोड़े बनाते समय पकोड़ों को स्वाद देने हेतु पकोड़े पीठ /पीठु  के ऊपर छिड़क देते हैं।

 भंगीरे / भंगजीरे बीजों को भूनकर चबाया भी जाता है जैसे भांग के बीज।

 भुने भंगजीरे / भंगीरे के बीजों को बुखण/चबेना  के साथ भी मिलाया जाता है।

 भंगीरे / भंगजीरे के बीजों से तेल निकाला जाता है और खली को मसाले रूप  में मवेशियों को दे दिया जाता है।  

 

 

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