इतिहास उकेरने तक

अप्रत्याशित नहीं है सब कुछ। भारत को विश्व पटल पर उदीयमान होते देखकर सबसे अधिक घबराहट चीन और पाकिस्तान को तो होनी स्वाभाविक ही थी! लेकिन गम्भीर संकट और अस्तित्व पर बन आई सैकुलरिज्म के क्रन्दन करते उन भारत की छाती पर ही पल रहे जीवाणुओं पर जिन्होनें भारत की आत्मा का खून जोंक बन कर पिया है लगातार और खूब मौज उड़ाई है विदेशी दौरे पांच सितारा होटल वगैरह वगैरह ।कांग्रेस के द्वारा भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन को प्रखर राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक बनाये रखने वाले अमर हुतात्माओं को अंग्रेजी योजनाकारों की चालों के अनुसार किनारे लगाते रहे। और एक वर्ण शंकर प्रजाति नागरिकीय व्यवस्था को उद्दात खुले पन का प्रतीक स्थापित करने के लिए सुनियोजित रूप से नपुंसक मानसिकता को भर दिया।


सर्वश्रेष्ठ सनातन, वैदिक, संस्कृति जिसने भगवान महावीर नानक देव महात्मा बुद्ध का अवतरण और मानवीयता को कृत कृत होते देखकर स्वंम को धन्य किया है, उसके प्रति वितृष्णा घृणा पिछड़ापन और जातियों विद्वेष बढाने के लिये गुरुकुल, संस्कृत, वेद, खगोल शास्त्र, ज्योतिष गणित, भारत का अतुलनीय विज्ञान, ज्ञान, वास्तु निर्माण, पराक्रम, स्त्री की तेजस्विता विविध प्रांतों की भाषा सबको समाप्त किया या दोयम बनाने के लिए खलिफाई मानसिकता वाले जेहादियों, नक्सलियों वामपंथियों को सत्ता की मलाई परोस तलुए चाटने वाली जमात प्रोफेसर पत्रकार इतिहासकार फिल्मकार कहानीकारों को यहाँ की शिक्षा इतिहास समाजिक सौष्ठव संस्कृति मनोरंजन को गढ़ने के लिए सबमें एक बीमार मनोग्रन्थी से पीड़ित कायर विष बीज बोये ।हिन्दू ब्राह्मण का चित्रण पाखंडी, क्षत्रिय को अत्याचारी, वैश्य मिलावटखोर और शूदखोर, और मुसलमान और ईसाई चरित्र मानवीयता सेवा और चरित्र की मिसाल दिखाया गया। संस्कृत और शुद्ध हिन्दी को हास्य के चरित्र की भाषा अंग्रेज़ी उर्दू मिली भाषा को कुलीन दर्ज किया गया।भारत की कृषि फसलों को हस्तशिल्प को गांव को लघु और कुटिर उद्योग को किसने बर्बाद किया ये नहीं बताया कि आखिर भारत को गरीब किसने बनाया? हिन्द के प्रतिमानों भगवा वेद मंदिर गुरुद्वारे हनुमान शिव राम गोविन्द सिंह जी का परिहास कर वास्तव में हिन्दु की अति सहिष्णुता को आजमा कर इश्क के किस्से, मुजरे,और महफिलों के दौर को अदीबों को सोंप कर उनकी सृजनात्मक अपनी सोच के पंख दे दिये। जिन्होनें अपनी कलम ही नहीँ मानसिकता और दृष्टि भी गुलाम बना ली जिन्हें देदिप्त्यमान महलों मन्दिरों किलों स्तम्भों मूर्तियां का प्राचुर्य नहीं बल्कि ताज महल जामा मस्जिद और चारमीनार ही अद्भूत दिखाई दिये,सनातन देह और नाम के श्रद्धावन्त कथावाचक आधुनिक कवि शायर अजीब तरह से दौलत के टुकड़ों पर बिक कर व्यास पीठ से राम कथा मै हिन्दी सिनेमा की नज्मे और अली मौला गाकर श्रोताओं से गवा रहे है, सहनशीलता देखिए कि श्री राम रमा रमनम... गाने आया भक्त मौला मौला ही गाने में आनन्दित है। इस कथानक की संवेदना मैं कबीर की सहजता नहीं है भक्ति और जगरातो को बालीवुड मै स्थापित करने वाले गुलशन कुमार को मरवा कर प्रणय गीत मै अजान आयत कलमा फिट करवाये गये जो निरन्तर जारी है लेकिन इस देश की असीम शक्ति जाग उठी है भारत की प्राणवान भगवा संस्कृति की मशाल जलाये लाखों बलिदान अहर्निश संघर्ष और साधना के नंदा दीप टिमटिमाते आ रहे हैँ । आज गरीबों किसानों मजदूरों के नाम पर रुदालियों का फर्जी आर्तनाद सीएए, कश्मीर, आयोध्या और डब्ल्यू एच ओ की पीड़ा है। तकलीफ बड़ी यह है इनकी कि हम जिसे बनिये की सरकारों का मुल्लम्मा जडना चाहते थे। वह तो गरीब गाँव अनुसूचित के लिए मध्य वर्ग का गुस्सा झेल कर भी कैसे विश्वास से चल रही है। हिन्दू आतंकवाद के नामकरण का भयावह षड्यंत्र नंगा हो गया। नशे अय्याश और अहंकार की राजनीति जेल की दहलीज पर खड़ी है। सारे प्रपंचों को करने वाले गौर से सुनो सारा अर्थतंत्र उद्योग तात्कालिक रूप से अस्वस्थ और अस्थिर हो भी जाये तो भी इसे राष्ट्रप्रेमियों कृषकों युवाओं का पुरुषार्थ वैभव पर ले आयेगा लेकिन हर हाल में चीन पाकिस्तान से पहले कांग्रेसी की खतरनाक रणनीति वामपंथी नक्सलियों जेहादियों और रुदालियों का मटियामेट होना अथिक आवश्यक है। आज युद्धरत दुनिया में अफगानिस्तान, ईराक, सीरिया, लेबनान के नागरिक ये अपनी अस्मिता और शांति की मांग कर रहे हैं ना इन्हें उद्योग चाहिए ना ही सड़क ना पैसा ना सुविधा उन्हें शांति और सुरक्षा चाहिए हम इन विषैले लोगों का षडयंत्र समझते हैं जिनको पाकिस्तान और चीन अपना हितैषी मानता है,अस्थाई तौर पर सब दांव पर लगा कर भी ये जोंक समाप्त किये ही जाने चाहिये। विश्वास रखिए कश्मीरियों के पास धन वैभव उद्योग शिक्षा सम्पन्नता सब लबालब था मगर अपनी सम्पति घर बगीचे जान बहन बेटियों की इज्जत गवां कर बेघर कर दिए गए क्योंकि कोई राजनीतिक समाजिक आवाज धर्म संस्कृति के संरक्षण के लिए नहीं उठी कोई गंगा जमुनी तहजीब कोई सैक्युलर नहीं। सम्पूर्ण विश्व में भारत का प्रखर राष्ट्रवाद संस्कृति और विजयी जयघोष प्रचण्ड ध्वनी से गुंजायमान होना चाहिए। हर आत्मा हर जीव हर गले से यही आवाज निकलनी आवश्यक है। धरती के आंचल पर यह इतिहास उकेरना ही जीवन का कर्तव्य है।