महाराणा प्रताप.


आओ तुमको बतलाता हूँ, अमर कहानी राणा की,

चेतक जिसका प्यारा घोड़ा, राजपूत मस्ताना की।

राष्ट्र  प्रेम में जिसने, अपना सब कुछ वार दिया,

मुगलों को नित धुल चटाई, अमर वीर महाराणा की।

घास की रोटी खाकर भी जो, कर्तव्य पथ से नहीं डिगा,

पन्ना जैसी धाय माँ की, भामा शाह से दानी की।

जय चंद जैसे गद्दारों की, जिनसे इतिहास कलंकित है,

पद्मिनी के जौहर की, झाला-मन्ना से बलिदानी की।

आओ तुमको बतलाता हूँ, अमर कहानी राणा की,

मेवाड़ की पावन धरती की, प्रताप से अभिमानी की।