सामाजिक दूरी कारगर कदम

     

कोरोना संक्रमण बचाव में (Social distancing) या सामाजिक दूरीकरण लोगों के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखकर संक्रामक बीमारी के प्रसार को रोकने के का एक कारगर उपाय है। इसमें लोग जितना एक-दूसरे के निकट संपर्क में आने से बचेंगे उतना ही अपने को स्वस्थ महसूस करेंगे।इस संक्रमण की संभावना को कम करने से कि किसी दिए गए असंक्रमित व्यक्ति को संक्रमित व्यक्ति के साथ मिलना जुलना कम करना चाहिए जिससे रोग के संचरण को कम किया जा सकता है और इस संक्रमण से संक्रमितों का आंकड़ा घटने के साथ-साथ वर्तमान समय में इससे होने वाली मौतें कम हो सकती हैं ।  

2019-2020 कोरोनवायरस वायरस महामारी के दौरान, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने "सामाजिक" विकल्प के रूप में "भौतिक" संदर्भ में जो सुझाव दिया, इस धारणा को ध्यान में रखते हुए कि यह एक भौतिक दूरी है जो संचरण को रोकती है; लोग प्रौद्योगिकी के माध्यम से सामाजिक रूप से जुड़े रह सकते हैं।

संक्रामक रोगों के प्रसार को धीमा करने के लिए और विशेष रूप से एक महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के अतिव्यापी होने से बचने के लिए, सार्वजनिक कार्यस्थलों को बंद रखने एवं  सामूहिक समारोहों को रद्द करने सहित कई सामाजिक दूरी रखने के उपायों का उपयोग बचाव में कारगर सिद्ध हो रहा है।

 सामाजिक, शारीरिक दूरी के उपायों को पिछले हैजा, टी.बी, डेंगू जैसी महामारियों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है। सेंट लुइस में,1918 फ्लू महामारी के दौरान शहर में इन्फ्लूएंजा के पहले मामलों का पता चलने के तुरंत बाद, अधिकारियों ने स्कूल बंद करने, सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध और अन्य सामाजिक दूरीकरण करने वाले हस्तक्षेपों को लागू किया। सेंट लूइस में मृत्यु दर लुई फिलाडेल्फिया की तुलना में बहुत कम थी, जिसमें इन्फ्लूएंजा के मामले होने के बावजूद, एक सामूहिक परेड निकालने की अनुमति दी और अपने पहले मामलों के बाद दो सप्ताह से अधिक समय तक सामाजिक दूरीकरण नहीं अपनाया।

एक अध्ययन के अनुसार सामाजिक दूरीकरण का अनुसरण करने के कारण यूरोप में 31 मार्च 2020 तक कोरोनावायरस रोग का संक्रमण धीमा कर 59,000 जानें बचाई जा चुकी हैं।

जब कोरोना वायरस  संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में उड़ते हैं। जिन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं।संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। भारत सरकार द्वारा जारी सोशल डिसटेंसिंग एडवायज़री के अनुसार जहां-जहां अधिक लोगों के एक दूसरे के संपर्क में आने की संभावना है उस पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिए हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात आदि ऐसे बड़े राज्य हैं,जिन राज्यों में जनसंख्या घनत्व अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक है। इन राज्यों के शहरों में लागों भीड़ लाक डाउन के बाद भी अपने गंतव्य तक जाने की इच्छा पर कोरोना संक्रमितों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है।कोविड_19 के बचाव में आम जन के सर्वभाव में प्रकृति से दूर,अकेलापन, उत्पादकता में कमी आना और मानव संपर्क में आने जैसे कुप्रभाव भी देखें जा रहे हैं।जिनसे नुकसान भी हो सकता है।