!!गंगा दशहरा पर्व!!

आज के दिन को सृष्टि के सृजनकर्ता भगवान ब्रह्मा जी के कमंडल से राजा भागीरथ के कठोर तप द्वारा मां गंगा के धरती पर अवतरण दिवस गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। 

पौराणिक कथा के अनुसार कपिल मुनि के श्राप से महाराजा सगर के साठ हजार पुत्र भस्म हो गए थे.उनकी मुक्ति के लिए महाराजा सगर के पुत्र अंशुमन ने गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रयास किया लेकिन वे असफल रहे. अंशुमन के पुत्र दिलीप भी मां गंगा को पृथ्वी पर नहीं ला सकें. दिलीप के पुत्र भागीरथ की अनेक वर्षों की तपस्या के  कारण सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल से गंगाजी को पृथ्वी पर अवतरित किया।

 गंगा के भारी वेग संभालने के लिए सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी जी की आज्ञा पर राजा भागीरथ ने भगवान शिव को तप द्वारा प्रसन्न कर गंगा का वेग संभालने का अनुरोध किया। राजा भगीरथ के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां गंगा को अपनी जटाओं में समा लिया था. आज ही के दिन भगवान शिव की इन्हीं जटाओं से मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई. इसके बाद गंगा बहती हुई कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची जहां महाराजा सगर के साठ हजार पुत्रों को श्राप से मुक्ति मिली थी।  राजा भगीरथ के कठोर तप के कारण मां गंगा का नाम भागीरथी भी पड़ा.

पृथ्वी पर अवतरित होने से पहले गंगा नदी स्वर्ग लोक का हिस्सा हुआ करती थीं। गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्रतम नदी माना जाता है, इस कारण उन्हें सम्मान से माँ गंगा अथवा गंगा मैया के नाम से भी पुकारते हैं,तथा माता के समान पूजा जाता है।

मान्यता है कि इस दिन की मान्यता है,कि पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है.