हिन्द की सेना

सरहद पर हैं तैनात वीर जवाँ हमारे,

बाँधे कफ़न सिर पर भारत माँ के लाल ये न्यारे।

 

अद्भुत शौर्य,वीरता और उत्साह से है इनको मढ़ा,

वीर प्रसू जननी ने वीरों की गाथाओं से है इन्हें गढ़ा।

 

सरहद ही इनके लिए हर तीर्थ-त्योहार है,

इनकी छत्रछाया में हम सबका संसार है।

 

हिमखण्डों की ठिठुरन में ये जगते हैं,

इनके ही रक्षण में हम चैन की नींद सोते हैं।

 

हैं धन्य वे माताएँ लगा तिलक जो करती विदा सरहद पर,

नमन उन बहनों को जो सजाकर थाल बाँधती रक्षासूत्र कलाई पर

 

शीश नवाते हैं हम उन पिताओं को जो थपथपाकर पीठ पुत्र की,

बढ़ाते हौसला कहकर ये कि डट कर करो रक्षा भारत माँ की।

 

धन्यहैं वे नारियाँ करके विदा प्रिय, लगा गले तपस्वी जीवन को,

हर पल चढ़ा भेंट प्रिय वियोग में,अर्पण करती सुख भारत माँ को।

 

है नमन उन वीर शहीदों को, शहीद होना था जिनका सपना,

भारत माँ के ख़ातिर कर दिया जीवन अर्पण अपना।

 

 

लिपट तिरंगे में धन्य हुए जो,भारत माँ की गोद में,

अमर कर गए नाम देकर अपने प्राणों की बलि।

 

ऐसे वीर सपूतों की शान में

बारम्बार अर्पित है भावभीनी हार्दिक श्रद्धांजलि।