नर्म छाँव


बहुत कठोर होते हैं
थक हार कर बैठे
थकने से इंकार करते इंसान
वो थकान , आँसू और
दुःख को रोककर
बना देते हैं ख़ुद को पाषाण
और अक़्सर चुराते हैं जी
अपनी मुस्कान और थकान से ,
बेचारे से वो
नहीं जानते कि
सम्पूर्ण थकान के बाद की
नींद होती है
माँ के आँचल सी मुलायम
जो हरदम अपनी
नर्म छाँव में
देती है तन-मन में
एक नई ऊर्जा को जन्म....