वोकल फॉर लोकल भावना


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 71वें संस्करण रेडियो कार्यक्रम मन की बात को संबोधित करते हुए कहां कि जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं,तो हमें महर्षि अरबिंद याद आते हैं। महर्षि अरबिंद विदेशों से सीखने के साथ-साथ खुद की क्षमता पर भरोसा करने की बात करते थे।यही वर्तमान परिपेक्ष्य में आत्मनिर्भर भारत की वोकल फॉर लोकल भावना है।......


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 71 वें संस्करण रेडियो कार्यक्रम मन की बात में संबोधित करते हुए कहां कि केन्द्र सरकार द्वारा पिछले समय में संसद में कृषि सुधारों को अमली जामा पहनाया गया। इससे किसानों को अधिकार और अवसर मिले। मोदी ने अपनी इस मन की बात में हैरिटेज, लोकल के लिए वोकल, पक्षियों, भारतीय संस्कृति जैसे अनेकों विषयों पर चर्चा की।
विपक्षियों द्वारा किसान बिल के विरोध में दिल्ली की सीमा पंजाब और हरियाणा के किसानों धरना-प्रदर्शन के जबाव में कहां कि केन्द्र सरकार ने पिछले समय से भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। बरसों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे जो वायदा किया था, वे मांगें पूरी हुई हैं। इन सुधारों से किसानों के बंधन खत्म हुए हैं। 
आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं,तो हमें महर्षि अरबिंद जी का स्मरण होना स्वभाविक है। 
महर्षि अरबिंद ने विदेशों से सीखने के साथ-साथ खुद की क्षमता पर भरोसा करने की बात करते थे। यही आत्मनिर्भर भारत की वोकल फॉर लोकल भावना है। नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहां कि महर्षि अरविन्द कहते थे राष्ट्र की शिक्षा विद्यार्थी के दिल-दिमाग आधारित प्रशिक्षण होना चाहिए। जो कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से केन्द्र सरकार कर रही हैं।
भारत के नैसर्गिक सौंदर्य पर प्रधानमंत्री ने कहां कि कोरोनाकाल के बावजूद हमने हैरिटेज वीक मनाते देखा। दिल्ली में हमारे संग्रहालयों में कई सराहनीय प्रयास किए गए। अब आप घर बैठे इसे देख पाएंगे। अजंता की गुफाओं की पेंटिंग्स को संजोने का काम जारी है। प्रकृति को देखने के नजरिए में बदलाव आया है। इंटरनेट चेरी ब्लॉसम से भरा पड़ा है। देखने से लगता है कि इसमें जापान की फोटो हैं,पर ये शिलॉन्ग की तस्वीरें हैं।
डॉ. सलीम अली की 125वीं जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने पक्षियों के लिए काफी काम किया है। भारत में बहुत सी बर्ड वॉचिंग संस्थाएं सक्रिय हैं। बीते दिनों केवडिया में मुझे भी पक्षियों के बीच समय बिताने का मौका मिला था। कई लोग पक्षियों की खोज में भारत आए और यहीं के होकर रह गए।
भारतीय संस्कृति के नाते सोपानों पर चर्चा करते हुए मोदी ने कहा भारतीय वैदिक संस्कृति दुनिया में प्रसार होने से जोनस ब्राजील में लोगों को उपनिषद पढ़ाते हैं। वे 4 साल तमिलनाडु के गुरुकुल में रहे। वे स्टॉक से लेकर स्प्रिचुअलिटी तक अपना मैसेज टेक्नोलॉजी से आगे बढ़ाते हैं। वे 1.5 लाख स्टूडेंट्स को पढ़ा चुके हैं। न्यूजीलैंड के एक सांसद गौरव शर्मा ने संस्कृत में शपथ ली। हम कामना करते हैं कि वे नई उपलब्धियां प्राप्त करेंगे।
कल याने 30 नवम्बर को सिक्ख पंथ के संस्थापक गुरुनानक देव जी का 551वां पावन प्रकाश पर्व है। दुनियाभर में उनके संदेश सुनाई देते हैं। वे कहते थे कि सेवक का काम सेवा करना है। बीते सालों में सेवा करने के कई मौके आए और गुरु साहब ने हमसे कई सेवाएं लीं। गुरु साहब की कृपा रही कि उन्होंने मुझे सेवा के लिए करीब से जोड़ा। कच्छ के लखपत गुरुद्वारा की मरम्मत कराई गई। इसकी यूनेस्को ने भी तारीफ की। इस गुरुद्वारे में असीम शांति मिलती है।पिछले साल करतारपुर कॉरिडोर का खुलना ऐतिहासिक रहा। ये सौभाग्य है कि हमें दरबार साहिब की सेवा का सौभाग्य मिला। इससे दुनियाभर की संगतों को नजदीक से देखने का मौका मिला।मानवता की सेवा की ये परंपरा हमारे लिए प्रेरणा का काम करती है।
पिछले 100 साल पूर्व 1913 में मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा वाराणसी से चुराकर कनाडा भेजी गई थी।
देश के लोगों को एक खुशखबरी देना चाहता हूं। मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा से भारत आ रही है।  मां अन्नपूर्णा का काशी से गहरा संबंध रहा है। इस प्रतिमा का वापस आना हमारे लिए सुखद है। 
पूर्व छात्रों से नये छात्र-छात्राओं को सीख लेने के कारण में प्रधानमंत्री ने कहां कि लॉकडाउन में पिछले दिनों अनेकों विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़ने का मौका मिला। एक बात जानने में मेरी यह रुचि रहती है कि किसी संस्थान के एल्युमिनाई कौन हैं? स्कूल-कॉलेज से निकलने का बाद दो चीजें कभी खत्म नहीं होती। पहला- शिक्षा का प्रभाव, दूसरा- अपने स्कूल-कॉलेज से लगाव। इसी से इस बात का जन्म होता है कि हम अपने संस्थानों के लिए कुछ करना चाहते हैं। आज एल्युमिनाई अपने संस्थानों को बहुत कुछ दे रहे हैं। जब कुछ लौटाने की बात आती है तो कुछ छोटा-बड़ा नहीं होता। अपने संस्थान में बिल्डिंग बनवाना हो, स्किल डेवलपमेंट करना हो, आदि के स्टक्चर खड़ा करने में पुराने छात्र अहम रोल निभा रहे हैं।
कोविड-19 संक्रमण बचाव जागरुकता पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि करीब एक साल पहले हमें कोरोनावायरस के बारे में पता चला था।अब इसके पूर्ण समाधान में वैक्सीन की चर्चा होने लगी है,लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं तब तक आम जन के लिए लापरवाही घातक है।