इंद्रनील,नीलम या ब्लू सफायर-
वेदों, शास्त्रों में नीलम रत्न को इंद्रनील के नाम से पुकारा गया है l वेदों से लेकर ऋग्वेद,अथर्ववेद गरुड़ पुराण विष्णु पुराण महाकवि कालिदास रचित कुमारसंभव,मेघदूत आदि में रत्नों का वर्णन मिलता है l इन के गुण , प्रभाव पहचान का वर्णन मिलता है l अनेक ऐसे ग्रंथ हैं जिसे पढ़कर यह पता लगता है की इन रत्नों की उत्पत्ति के विषय में मतान्तर है |गरुड़ पुराण में रत्नों की उत्पत्ति राजा बलि के शारीरिक अंगों से संबंध रखती है l बृहद संहिता में रत्नों की उत्पत्ति के विषय में तीन मत हैं ,एक मत के अनुसार पृथ्वी के गर्भ में विचित्रता के फलस्वरूप रत्नों की उत्पत्ति हुई है l दूसरे मत के अनुसार राजा बली के अंगों से रत्नों की उत्पत्ति मानी गई है l और तीसरे मत के अनुसार दधीचि की हड्डियों से रत्नों का जन्म हुआ है यह निम्नलिखित श्लोक से स्पष्ट होता है l
सम्भुतानि बलाद्देत्या द्रत्नानि विविधानि च , गतानि नानावर्णत्वमस्थिभयो भूमिसंश्रयात ll
रत्नानि दधीचिमुनेर्जातानि सहस्रशोलोके l
अस्थिभ्यो भूमिवशात नानावर्णत्वमागतानि गुणैः ll
परंतु उत्पत्ति के विषय में भले ही सभी में मतान्तर है पर इन रत्नों के गुणों के विषय में सभी एकमत हैं l नीलम रत्न देखने में नीले रंग का होता है पर यदि जिसे इसकी पहचान न हो उसे खरीदने में धोखा हो सकता है lक्योंकि शास्त्रों में भी इसकी पहचान और गुण और दोष बताए गए हैं, निर्दोष दाग रहित ,नीलकमल के पुष्प के समान,या नीलकंठ पक्षी के गर्दन का जो रंग है उसकी आभा वैसे ही होती है l नीलम रत्न शनि का रत्न है इसके विषय में कहा जाता है कि यह रत्न व्यक्ति की खोई हुई संपत्ति को भी वापस लौटा देता है यह इसका शुभ प्रभाव होता है यदि यह अच्छे प्रभाव देता है तो यह व्यक्ति के पाचन तंत्र को सुधार ता है स्वस्थ रखता है l शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है चाहे कुंडली में लग्नेश शनि ही क्यों न हो फिर भी बिना मेहनत के शनि कभी किसी को कुछ नहीं देते मेहनत करवाने के बाद ही यह फल देते हैं यह व्यक्ति को कर्मशील बनाते हैं l यह कह सकते हैं कि नीलम रत्न धारण करने के बाद व्यक्ति में उस ऊर्जा का संचार होता है जो व्यक्ति को कर्मशील बनाती है व्यक्ति के कार्यों में उसके व्यक्तित्व में निखार लाने का कार्य करती है और कर्म करने पर मनोवांछित फलों की प्राप्ति करवाती है l
नीलम रत्न में दोष भी पाए जाते हैं यदि नीलम हल्की आभा लिए हुए हो या खुरदरा तथा देखने में कहीं से ऊंचा कहीं से नीचे ऐसा नीलम उत्तम नहीं माना जाता है नीलम एक ऐसा रत्न है जो 1 दिन के अंदर अपना असर दिखाने लगता है अतः कुंडली को दिखाकर ही यह रत्न धारण करना चाहिए अगर जानकारी ना होने पर यह रत्न धारण करते हैं,तो भयंकर परिणाम देखने को मिलते हैं l फिर भी यही कहूंगी जिसे रत्नों की जानकारी हो वहीं से प्रमाण पत्र के साथ रत्न खरीदें कुछ लोग कहते हैं प्रमाणपत्र नकली भी मिलते हैं पर उन लोगों को स्पष्ट कर दूं यदि कोई एक व्यक्ति चोरी करता है तो हम पूरी दुनिया को चोर नहीं कहेंगे l जिनका व्यवसाय नकली काम करने का है वह नकली रत्न ही देंगे और नकली प्रमाण पत्र ही देंगे हमारे यहां जो रत्न दिए जाते हैं उसे आप चाहे तो लैब मे टैस्ट करवा सकते हैं असली रत्न ही मिलेगा रत्न धारण के बाद आपको स्वयं ही रत्न जब लाभ देने लगेगा आपको असली नकली का पता लग जाएगा l उत्तम नीलम श्रीलंका या बर्मा का माना जाता है बैंकॉक में भी नीलम मिलता है वह नकली रत्न की श्रेणी में आता है क्योंकि उस पर जो रासायनिक क्रियाएं की जाती है फलस्वरूप उसकी गुणवत्ता कम हो जाती है बैंकॉक का नीलम सस्ता आता है और श्रीलंका का उसके मुकाबले थोड़ा महंगा पर यही कहूंगी , महंगा रोए एक बार सस्ता रोए बार-बार l श्रीलंका के नीलम का मूल्य भी 5000 प्रति कैरेट से लेकर 15000 प्रति कैरेट तक रत्न की पारदर्शिता पर निर्भर करता है l इसे उम्र अनुसार 3, 6 या 10 कैरेट में चांदी की अंगूठी में मध्यमा उंगली (मिडल फिंगर )में शनिवार को पहना जाता है l
रत्न धारण विधि - पहनने के 1 दिन पहले रात को कटोरी में गंगाजल लेकर अंगूठी को गंगाजल में रख ले दूसरे दिन मंदिर में पंडित द्वारा या स्वयं घर में अंगूठी को 108 बार शनि के मंत्रों द्वारा ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करके प्राण प्रतिष्ठित कर दे अंगूठी को धारण कर ले l चाहे आप अंगूठी को घर में ही क्यों ना प्राण प्रतिष्ठित करते हैं फिर भी मंदिर में पंडित को दक्षिणा अवश्य दें l