बदरंग दोहे


गोरी सुने बंगले से, कंगलों का शोर,
आर-पार मौसेरे, कौन? पकड़ेगा चोर।


इज्जत हुई तार-तार, कोयला नहीं ब्लैक,
ब्लेक हुआ तिरंगा! जी, सिर्फ नहीं फ्लैग।


आपस में मुंह बजाते, औ' बोल हुये नीम
कोई तो ढ़ूंढ़ो रे! संविधान में हकीम।


जिस थाली में खावें, उसी में करते छेद
हंसी उड़ावें देश की, नेता करें न खेद।


बोटी-बोटी जनतंत्र, खावें ले-ले स्वाद
बूचड़खाना संसद जी, कहां करें फरियाद।


नेता-पुलिस की दोस्ती, गुंडे हुये उदास
शनैः-शनैः नेता हुये, जनता हुई ग्रास।


अस्मत लुटती देश की, नेता करें किल्लोल
कौन चढ़ेगा तख्त पर, कौन करेगा कौल।


घोटाले दर घोटाले, फिर भी ऊँची नाक
हाथ मलें जी गोरे, क्या लूटा है खाक।


कितना लूटें, क्या लूटें, होड़ मची सरकार
गांधी का स्टेच्यू देखे, देश भक्ति लाचार।


सोचो, भाई लोगों! कैसा है संविधान?
गाल बजाऊ संसद में, मेरा भारत महान।