!!भारतीय जीवन दृष्टि एवं योग!!

(सूर्य नमस्कार सम्पूर्ण व्यायाम की अनुभूति)

दर्शन का अर्थ है देखना। जिस विद्या से मनुष्य को जीवन-दृष्टि मिल जाए,वही दर्शन है। पश्चिमी दर्शन जहां मात्र भौतिक चिंतन तक सीमित है, वहीं भारतीय दर्शन व्यक्ति को चिंतन की गहराई से अनुभव कराने के साथ उसे जीवन में उतारना सिखाता है।

प्राचीन काल से योग भारतीयों की जीवन−शैली का प्रमुख हिस्सा रहा है। योग भारत की धरोहर ही नहीं है, अपितु सम्पूर्ण मानव जाति को जुट करने की शक्ति है। 

दुनिया के अनगिनत लोगों ने ज्ञान, कर्म और भक्ति का आदर्श मिश्रण के मिश्रण द्वारा  योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया है। 

योग और प्राणायाम भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत्त भारतीय चिर संस्कृति और जीवन शैली के प्राण हैं। यह हमारे स्वस्थ शारीरिक जीवन लिए योग को वरदान माना गया है। 

योग का शाब्दिक अर्थ तन और मन को प्रसन्न रखना है। योग हमारे देश की प्राचीन प्रणाली है। जिसे हमने अपनी जीवन शैली के रूप में प्रमुखता से अपनाया है। प्राचीन काल में विभिन्न प्रकार की दवाओं का प्रयोग न के बराबर होता था। जड़ी−बूटियाँ,औषधीय पौधे एवं योग ही स्वास्थ्य लाभ में प्रचलित थे जो शरीर को स्वस्थ रख कर निरोग बनाते रखते थे। जिन्हें अपनाकर हम शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहते थे। योग और प्राणायाम का स्वास्थ्य रक्षा में वरदान साबित हुआ है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है। यदि हमारा शरीर पूरी तरह स्वस्थ होगा तो निश्चय ही मन भी प्रसन्न और प्रफुल्लित होगा।

 योगासन का सबसे बड़ा लाभ  सहज, सरल और सुलभ है। इसके लिए धन की आवश्यकता नहीं है। यह अमीर, गरीब के लिए समान रुप से है। योगासनों में जहाँ माँसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली शारीरिक क्रियाएँ करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर तनाव, खिंचाव दूर करने वाली क्रियाएँ योग में हैं। इससे शारीरिक थकान मिटने के साथ−साथ आधुनिक जीवन शैली की विभिन्न बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है। इससे शरीर पुष्ट होने के साथ मोटापा घटना,सुन्दर शारीरिक बनावट नेत्र ज्योति में वृद्धि, विभिन्न प्रकार की बीमारियों से मुक्ति एवं पाचन क्रियाओं में विकार उत्पन्न नहीं होने देता। शारीरिक स्वास्थता को प्राप्त करने के लिए योगासनों का हमारे जीवन में महत्व और उपयोगिता है। आसनों से शारीरिक सौष्ठव के साथ−साथ श्वास−पश्वास की प्रक्रिया में रक्त संचार नियमित रूप से बना रहता है। जो स्वस्थ शरीर के लिए बेहद जरूरी है। योग की आवश्यकता एवं महत्ता को विश्वभर के चिकित्सकों ने भी एक मत से स्वीकारा है। यह निर्विवाद रूप से माना गया है, कि विभिन्न बीमारियों के बचाव में योग का उपचार वरदान साबित हुआ है।

 सूर्य नमस्कार योगासन की सबसे उपयोगी प्रक्रिया है। जिस प्रक्रिया से साधक को सम्पूर्ण व्यायाम की अनुभूति प्राप्त होती है। नियमित सूर्य नमस्कार के अभ्यास से व्यक्ति का शरीर निरोग और स्वस्थ रहता है। इसके न केवल मानव शरीर की अनेक बीमारियाँ न केवल दूर होती हैं अपितु जड़मूल से नष्ट भी हो जाती हैं। मोटापा, गठिया, गैस, शारीरिक दर्द और पेट की विभिन्न बीमारियां एवं परस्पर एक दूसरे की दुश्मन है। योग और प्राणायाम का घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्राचीन काल की इस महत्त्वपूर्ण जीवन शैली को हमने धीरे−धीरे भुला दिया जिसके फलस्वरूप पाश्चात्य रोगों ने शरीर पर अपना अधिकार जमा लिया। आज घर−घर में फास्ट और जंक फूड का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। मैगी की पोल खुलने से आम आदमी अवश्य सचेत हुआ है। मगर अभी भी फास्ट फूड का उपयोग हम कर रहे हैं। विशेषकर बच्चे इसका सर्वाधिक उपयोग कर रहे हैं। इससे हमारी पाचन शक्ति के साथ−साथ पेट के रोगों को बढ़ावा मिल रहा है।

 वर्तमान परिस्थितियों में हमें स्वस्थ रहने के लिए अपने शरीर(तन-मन) की प्रफुल्लिता के लिए योग को प्रमुखता से अंगीकार करना होगा। यह बिना व्यय का एक ऐसा उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण उपाय है जिसे हम अंगीकार कर अपना जीवन सुखी और खुशहाल बना सकते हैं।