विद्यार्थी: एक बात कहूँ?

[27/05 9:48 am] विद्यार्थी: एक बात कहूँ?

मैं सोचती हूँ कि-

यह विचार करने से ज्यादा बेहतर यह है कि 

मैं अब बस इत्ती सी बात सोचूँ कि-

अपनी जिंदगी से मैं खुश हूँ कि नहीं। 

मैंने खुद को गहनता से 

प्रसन्न किया कि नहीं 

खुद को सुख व आनंद में डुबोया कि नहीं 

खुद की आत्मा को संपूर्णता में तृप्त किया कि नहीं 

खुद में परिपूर्ण रही कि नहीं 

वगैरह वगैरह •••

आप या कोई भी अन्य सोच सकता है कि मैं 

केवल व केवल खुद के लिए सोच रही हूँ ,

हाँ मैं यही सोचना चाहती हूँ। 

जब तक मैं खुद को खुद के काबिल न बना लेती

तब तक दूसरे को सुख देने में सर्वथा असमंजस में हूँ, असमर्थ हूँ।

[27/05 9:58 am] विद्यार्थी: ज़िन्दगी गुज़र गई

सब को खुश करने में 

जो खुश हुए वो अपने न थे ।

और 

जो अपने थे कभी खुश न हुए।

अब 

अपने व पराये के लिए  भी असमंजस में हूँ!!!